सर्वनाम की परिभाषा | परिचय | भेद या प्रकार

सर्वनाम

सर्वनाम शब्द ‘सर्व’ + ‘नाम’ से मिलकर बना है। ‘सर्व’ का अर्थ है सब और ‘नाम’ का अर्थ है संज्ञा। अत: वे शब्द, जो संज्ञा के स्थान पर प्रयुक्त किए जाते हैं, सर्वनाम कहलाते हैं;

जैसे-

मोहन आज स्कूल नहीं गया।

उसे दिल्ली जाना था।

इस वाक्य में ‘मोहन’ के स्थान पर ‘उसे’ का प्रयोग किया गया है। अत: ‘उसे’ सर्वनाम है।

सर्वनाम के प्रकार

सर्वनाम पाँच प्रकार के होते हैं

1. पुरुषवाचक सर्वनाम – जो सर्वनाम बोलने वाले, सुनने वाले या जिसकी बात की जाए उसके विषय में ज्ञान कराते हैं, पुरुषवाचक सर्वनाम कहलाते हैं। इसके तीन भेद होते हैं

() उत्तम पुरुष बोलने वाला उत्तम पुरुष कहलाता है, जैसे-मैं, हम, मेरा आदि।

() मध्यम पुरुष जिससे बात की जाती है, वह मध्यम पुरुष कहलाता है; जैसे-तू, तुम, तेरा आदि।

(स) अन्य पुरुष – जिसके बारे में बात की जाती है, वह अन्य पुरुष होता है; जैसे-वह, वे, उनका, उसके, उसकी आदि।

2. निश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम जिनसे किसी निश्चित वस्तु का ज्ञान होता है उन्हें निश्चयवाचक या संकेतवाचक सर्वनाम कहते हैं;

जैसे—यह, वह आदि।

3. अनिश्चयवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम जिनसे किसी वस्तु का निश्चित ज्ञान न हो उन्हें अनिश्चयवाचक सर्वनाम कहते हैं,

जैसे-कोई, कुछ, सब आदि।

4. सम्बन्धवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम जो एक शब्द का दूसरे के साथ सम्बन्ध जोड़ते हैं, उन्हें सम्बन्धवाचक सर्वनाम कहते हैं;  जैसे-

जिसकी लाठी उसकी भैंस,

जो करेगा सो भरेगा आदि।

5. प्रश्नवाचक सर्वनाम वे सर्वनाम जो प्रश्न पूछने के लिए प्रयुक्त होते हैं, उन्हें प्रश्नवाचक सर्वनाम कहते हैं;

जैसे-कौन, कैसे, क्या आदि?

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