क्रिया की परिभाषा | परिचय | भेद या प्रकार

क्रिया

जिन शब्दों से काम का करना या होना पाया जाता है, क्रिया कहलाते हैं तथा कार्य को करने वाला ‘कर्ता’ कहलाता है ।

जैसे –

अनिल स्कूल जा रहा है।

मोहन ने खाना खाया।

सैनिक गोली चला रहा है।

इन वाक्यों में ‘जा रहा है’, ‘खाया’, ‘चला रहा है’ से कार्य के होने का पता चलता है। अतः ये (जाना, खाना,

चलाना) क्रियाएँ हैं।

क्रिया के प्रकार

क्रिया के निम्न प्रकार हैं

1. सकर्मक क्रिया जिन वाक्यों में क्रियाएँ अपने कर्म के साथ होती हैं, उन्हें सकर्मक क्रियाएँ कहते हैं;

जैसे-कृष्ण कुत्ते को रोटी खिलाता है।

इसमें क्रिया ‘खिलाना’ का प्रभाव कुत्ते पर पड़ता है यानि कुत्ते को खिलाना क्रिया का कर्म है। अत: यह एक सकर्मक क्रिया है।

2. अकर्मक क्रिया –  जो क्रियाएँ बिना कर्म के वाक्यों में आती हैं, अकर्मक क्रियाएँ कहलाती हैं;

जैसे- सविता हँसती है। इसमें ‘हँसना’ क्रिया का किसी पर प्रभाव नहीं पड़ता। इसलिए यह अकर्मक क्रिया है।

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