सिन्धु घटी सभ्यता

सिंधु घाटी सभ्यता – एक परिचय

सिंधु घाटी सभ्यता (Indus Valley Civilization) प्राचीन भारत की सबसे उन्नत और संगठित सभ्यताओं में से एक थी। इसे हड़प्पा सभ्यता (Harappan Civilization) के नाम से भी जाना जाता है। यह सभ्यता लगभग 3300 ईसा पूर्व से 1750 ईसा पूर्व के बीच विकसित हुई और आधुनिक पाकिस्तान एवं पश्चिमी भारत के क्षेत्र में फैली हुई थी। यह दुनिया की चार प्रमुख प्राचीन सभ्यताओं – मिस्र, मेसोपोटामिया, चीन और भारत – में से एक थी।

इस सभ्यता की खोज 1921 में पंजाब (अब पाकिस्तान) के हड़प्पा नामक स्थान पर और 1922 में सिंध प्रांत के मोहनजोदड़ो में हुई। इन स्थलों की खोज से यह सिद्ध हुआ कि भारतीय उपमहाद्वीप में प्राचीन काल में भी एक अत्यंत विकसित शहरी सभ्यता मौजूद थी।

स्थान एवं विस्तार

सिंधु घाटी सभ्यता का विस्तार अत्यंत विशाल था और यह लगभग 12,99,600 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैली हुई थी। इसके प्रमुख स्थल वर्तमान पाकिस्तान, हरियाणा, पंजाब, राजस्थान, गुजरात और उत्तर प्रदेश में पाए गए हैं।

  • उत्तर में: जम्मू कश्मीर का मंडा
  • दक्षिण में: गुजरात का भगत्राव
  • पूर्व में: उत्तर प्रदेश का आलमगीरपुर
  • पश्चिम में: पाकिस्तान का सुत्कागेन-दोर

समयावधि एवं काल विभाजन

पुरातत्वविदों ने इस सभ्यता को तीन मुख्य कालखंडों में विभाजित किया है:

  1. पूर्व-हड़प्पा काल (Pre-Harappan Period) – 3300 ईसा पूर्व से 2600 ईसा पूर्व: इस समय लोग गांवों में रहते थे, कृषि करते थे और छोटे पैमाने पर व्यापार होता था।
  2. परिपक्व हड़प्पा काल (Mature Harappan Period) – 2600 ईसा पूर्व से 1900 ईसा पूर्व: यह सभ्यता का स्वर्णकाल था। शहर सुव्यवस्थित, सड़कों का जाल, जल निकासी प्रणाली और विशाल इमारतें इसी काल में बनीं।
  3. उत्तर-हड़प्पा काल (Late Harappan Period) – 1900 ईसा पूर्व से 1300 ईसा पूर्व: इस काल में सभ्यता का पतन शुरू हुआ। नगर उजड़ने लगे और लोग छोटे गांवों में बसने लगे।

नगर नियोजन (Town Planning)

सिंधु घाटी के नगर अत्यंत सुव्यवस्थित थे, जिनमें आधुनिक नगरों जैसी विशेषताएँ मौजूद थीं:

  • सड़कें सीधी और एक-दूसरे को समकोण पर काटती थीं।
  • शहर को दो भागों में बांटा गया था – ऊँचा दुर्ग (Citadel) और निचला नगर।
  • घर पक्की ईंटों के बने होते थे और उनमें कई कमरे होते थे।
  • प्रत्येक घर में स्नानघर और पानी की निकासी की व्यवस्था थी।
  • जल निकासी के लिए ढंकी हुई नालियाँ बनाई जाती थीं।

मुख्य स्थल एवं उनकी विशेषताएँ

1. हड़प्पा

  • स्थान: पंजाब (पाकिस्तान)
  • विशेषता: अन्न भंडारगृह (Granary) और तांबे की मूर्तियाँ।

2. मोहनजोदड़ो

  • स्थान: सिंध (पाकिस्तान)
  • विशेषता: महान स्नानागार (Great Bath), सभा भवन और अन्न भंडार।

3. लोथल

  • स्थान: गुजरात
  • विशेषता: गोदीघर (Dockyard) और मनकों की फैक्ट्री।

4. कालीबंगन

  • स्थान: राजस्थान
  • विशेषता: अग्नि वेदी और हल से जोते गए खेतों के प्रमाण।

5. धोलावीरा

  • स्थान: कच्छ (गुजरात)
  • विशेषता: जल-संग्रहण प्रणाली और बड़े मैदान।

अर्थव्यवस्था

सिंधु घाटी की अर्थव्यवस्था कृषि, पशुपालन, हस्तकला और व्यापार पर आधारित थी:

  • मुख्य फसलें – गेहूं, जौ, तिल, कपास।
  • पशुपालन में गाय, बैल, भेड़, बकरी, ऊंट शामिल थे।
  • कारीगर धातु, मिट्टी, मनके, आभूषण और कपड़े बनाते थे।
  • मेसोपोटामिया के साथ समुद्री और स्थलीय व्यापार होता था।

धर्म और संस्कृति

सिंधु घाटी के लोग धार्मिक आस्थाओं से जुड़े थे:

  • माता देवी (Mother Goddess) की पूजा।
  • पशुपति महादेव की पूजा – एक मुहर पर त्रिमुखी देवता का चित्र।
  • वृक्ष, पशु और प्राकृतिक शक्तियों की पूजा।
  • अग्नि वेदी और धार्मिक अनुष्ठान।

लिपि और भाषा

हड़प्पा की लिपि अभी तक पढ़ी नहीं जा सकी है। यह चित्रलिपि (Pictographic Script) थी जिसमें लगभग 400 चिह्न मिलते हैं। इसका प्रयोग मुहरों, मिट्टी के बर्तनों और ताम्रपत्रों पर होता था।

कला और शिल्प

  • कांस्य, मिट्टी और पत्थर की मूर्तियाँ।
  • मोहनजोदड़ो से प्राप्त “नर्तकी की मूर्ति” (Bronze Dancing Girl)।
  • “पशुपति मुहर” – धार्मिक महत्व की।
  • मिट्टी के खिलौने, मनके और आभूषण।

जल निकासी व्यवस्था

सिंधु घाटी सभ्यता की जल निकासी प्रणाली अद्वितीय थी:

  • प्रत्येक घर से पानी नालियों में जाता था।
  • मुख्य नालियाँ पक्की ईंटों से बनी थीं।
  • नालियों पर ढक्कन लगे होते थे ताकि गंदगी और बदबू न फैले।

पतन के कारण

सिंधु घाटी सभ्यता के पतन के कई कारण माने जाते हैं:

  • बाढ़ और जलवायु परिवर्तन।
  • नदियों का मार्ग बदलना।
  • आर्यों का आक्रमण।
  • व्यापार का पतन और कृषि उत्पादन में कमी।

महत्व और विरासत

सिंधु घाटी सभ्यता ने नगर नियोजन, स्वच्छता, कला, शिल्प और व्यापार में अद्भुत योगदान दिया। इसकी विरासत आज भी भारतीय संस्कृति में झलकती है।

निष्कर्ष

सिंधु घाटी सभ्यता प्राचीन भारत की गौरवशाली उपलब्धि थी। इसके लोग उन्नत सोच, व्यवस्थित जीवन और उत्कृष्ट शहरी व्यवस्था के लिए जाने जाते थे। इसका अध्ययन हमें यह सिखाता है कि हजारों वर्ष पहले भी भारत में विज्ञान, कला और संस्कृति का उच्च स्तर मौजूद था।


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