संज्ञा की परिभाषा | परिचय | भेद या प्रकार
संज्ञा:-
जिस शब्द से किसी भी वस्तु, व्यक्ति, गुण, भाव इत्यादि का बोध हो, उसे संज्ञा कहते हैं। दूसरे शब्दों में वस्तु (जिसका अस्तित्व होता है, या होने की कल्पना की जा सकती है, उसे वस्तु कहते हैं) के नाम को संज्ञा कहते हैं।
संज्ञा के प्रकार:-
संज्ञा के निम्न प्रकार हैं
- व्यक्तिवाचक संज्ञा – जो संज्ञा किसी विशेष मनुष्य, प्राणी, स्थान या वस्तु का बोध कराए, उसे व्यक्तिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- -राम, दिल्ली, सेब।
- जातिवाचक संज्ञा – जो शब्द किसी विशेष जाति का बोध कराए, उसे जातिवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- -बकरी, मनुष्य।
- भाववाचक संज्ञा – जो शब्द किसी विचार, भाव, गुण, स्वभाव, दशा आदि को प्रकट करे, उसे भाववाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे- -समाजवाद, कोमलता, चोरी।
- समूहवाचक संज्ञा – जो शब्द एक को न बताकर समूह या पूरे समुदाय का बोध कराए, उसे समूहवाचक संज्ञा कहते हैं, जैसे- -सभा, परिवार।
- द्रव्यवाचक संज्ञा – जिस शब्द से नाप-तौल वाली वस्तु का बोध हो, उसे द्रव्यवाचक संज्ञा कहते हैं; जैसे-सोना, पर्वत, दूध, तेल।
लिग:-
लिंग शब्द का अर्थ है-चिह्न। जिस चिह्न द्वारा यह जाना जाए कि अमुक शब्द पुरुष जाति का है या स्त्री जाति का, उसे लिंग कहते हैं। दूसरे शब्दों में-संज्ञा के जिस रूप से वस्तु की जाति (स्त्री या पुरुष) का बोध हो, उसे लिंग कहते हैं।
लिंग के प्रकार:-
हिन्दी भाषा में प्रमुखत: दो लिंग होते हैं-पुल्लिग एवं स्त्रीलिंग।
पुल्लिग से पुरुष जाति का बोध होता है; जैसे-हाथी, राजा आदि। स्त्रीलिंग से स्त्री जाति का बोध होता है; जैसे- -हथिनी, रानी आदि।
विशेष:-
- कुछ शब्द सदा पुल्लिंग होते हैं; जैसे-मच्छर, खटमल, चीता, पशु, पक्षी, बिच्छू, गैण्डा आदि।
- कुछ शब्द सदा स्त्रीलिंग होते हैं; जैसे-मक्खी, गिलहरी, मैना, तितली, मछली, कोयल आदिI
- इन शब्दों के स्त्रीलिंग या पुल्लिंग बनाने के लिए इनके पहले ‘नर’ या ‘मादा’ जोड़ दिया जाता है; जैसे-मादा, चीता, नर मक्खी, नर गिलहरी, मादा मच्छर आदि।
वचन:-
संज्ञा, सर्वनाम, विशेषण और क्रिया के जिस रूप से संख्या का बोध होता है, उसे वचन कहते हैं।
वचन के प्रकार:-
हिन्दी भाषा में दो वचन होते हैं एकवचन एवं बहुवचन।
एकवचन से एक का बोध होता है; जैसे-लड़की, तोता, दासीआदि।
बहुवचन से ‘एक से ज्यादा’ का बोध होता है; जैसे-लड़कियाँ,तोते, दासियाँ आदि।